संपत्ति के लिए 2 साल केस लड़े, 6 कराेड़ रुपए फीस दी; तलाक मिला पर घर बिक गया, डेढ़ करोड़ कर्ज भी चढ़ा
यह एक खुशहाल शादी थी। तीन बच्चे हुए। सब ठीक चल रहा था, लेकिन 22 साल बाद दाेनाें में मनमुटाव हाे गया। बात तलाक तक पहुंची। पति-पत्नी अदालत पहुंचे। संपत्ति का अधिक हिस्सा पाने के लिए दाेनाें तर्क देते रहे। मुकदमा 2 साल खिंच गया। घर तक बिक गया। संपत्ति वकीलाें की फीस में खर्च हाे गई। डेबिट कार्ड का कर्ज चुकना बाकी है। शुक्रवार काे जब मुकदमा खत्म हुआ, तब दाेनाें के हाथ में महज 5-5 लाख रुपए नकद रह गए थे।
यह वाकया लंदन का है। पति-पत्नी की पहचान उजागर नहीं की गई है। 53 वर्षीय पति और 50 वर्षीय पत्नी केयर होम के मालिक थे। पांच बेडरूम का मकान था। बच्चों के साथ छुट्टियां मनाने जाते थे। उनकी बेहतर पढ़ाई के लिए खर्च भी कर रहे थे। दोनों के पास पर्सनल नंबर प्लेट वाली 14 लाख रुपए की मर्सिडीज कार थी। पति-पत्नी अलग हुए ताे केयर होम बंद हो गया। पति बेरोजगार हो गया। उसने पाइप कंपनी में नौकरी की। उस पर डेबिट कार्ड का 1.17 कराेड़ रुपए कर्ज हाे गया। करीब 6 कराेड़ रुपए वकीलाें की फीस और कानूनी प्रक्रिया में ही खर्च हाे गए।
जज ने न्यायिक खर्च पर भी सवाल उठाए
अदालत में कुल 13 सुनवाई हुई। पांच दिन ट्रायल भी चली। पति ने चार बार अपील काेर्ट और हाई काेर्ट में याचिका लगाई, लेकिन खारिज हो गई। हाई काेर्ट के जस्टिस राॅबर्ट पील ने कहा कि घर बेचने से 6.04 कराेड़ रुपए मिले, लेकिन फीस के खर्च के बाद किराए के घर में रह रहे पति काे कर्ज भी चुकाना है। जज ने यह भी कहा कि यह व्यक्त करना मुश्किल है कि यह संसाधनाें की कितनी दुखद बर्बादी है। उन्हाेंने महंगे न्यायिक खर्च पर भी सवाल उठाए।
जज बाेले- आत्मघाती मुकदमा आज खत्म हुआ
जस्टिस पील ने कहा कि इतने खर्च पर विश्वास करना मुश्किल है, लेकिन यही सच्चाई है। ऐसे फैसलाें के और भी मामले हाे सकते हैं, लेकिन इतना बुरा नहीं हाेगा। यह केस उन दंपती के लिए चेतावनी है, जो कानूनी दांवपेंच में संपत्ति खर्च कर देते हैं और उनके पास कुछ नहीं बचता है। आज यह आत्मघाती मुकदमा खत्म हुआ है। जज ने कहा, उन्हाेंने कमाई से अधिक खर्च किया और कर्जदार हाे गए।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar
via Source