कोरोना के कारण गंभीर बीमारी वाले मरीज हो रहे परेशान, संक्रमण का डर और अस्पतालों की कमी बनी मुसीबत
मुंबई में रोजाना औसतन 25 हजार लोग रक्तदान करते हैं। लेकिन, लॉकडाउन और संक्रमण के भय के कारण मुंबई के ब्लड बैंकों में ब्लड की भारी कमी है। थैलिसीमिया जैसी बीमारी के मरीज सर्वाधिक परेशान हैं। यह कहना है मुंबई की रक्त संक्रमण परिषद का। ऐसे ही देश में दूसरी गंंभीर बीमारियों के मरीज भी परेशान हो रहे हैं।
भास्कर ने इसे जानने के लिए 10 राज्यों की स्थिति जानी। अधिकांश राज्यों के प्रमुख अस्पतालों में ओपीडी शुरू नहीं हुई है या उसमें अभी 70-80% तक मरीज कम हैं। मुंबई निगम की स्वास्थ्य अधिकारी दक्षा शाह बताती हैं कि सरकारी और निजी अस्पताल मिलाकर रोज शहर में करीब 3 हजार सर्जरी होती थी। अभी मात्र 20 फीसदी सर्जरी ही हो रही हैं।
वहीं, दिल्ली में केंद्र सरकार के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में ओपीडी शुरू नहीं हुई है। हालांकि, अस्पताल ने मरीजों को टेली कंसल्टेशन की सुविधा दी है। यहां पहले से तय कोई भी सर्जरी नहीं हो रही। इमरजेंसी सर्जरी की जा रही हैं। सरकार के दूसरे बड़े अस्पताल सफदरजंग में रोजाना करीब 1500 मरीज आ रहे हैं। पहले यहां रोजाना 10 हजार से ज्यादा मरीज आते थे।
वहीं, झारखंड में वॉलेंटरी ब्लड डोनेशन कैंप नहीं होने के कारण ब्लड बैंकों में रक्त की कमी देखी जा रहीहै। हीमोफीलिया, सिकल सेल जैसे मरीजों को ब्लड उपलब्ध कराने में देरी की सूचना के बाद सरकार की ओर से स्थिति सुधारने के लिए आदेश जारी किए गए।
हालांकि, गुजरात के अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में लॉकडाउन के दौरान भी ओपीडी खुली रहीं। मरीज ज्यादा नहीं आए। अब मरीजों की संख्या में 15 से 30% का इजाफा हुआ है। सिविल अस्पताल के परिसर स्थिति किडनी हॉस्पिटल में ऑर्गन ट्रांसप्लांट शुरू कर दिया गया है।
इन तीन केस से समझिए किस तरह आम आदमी परेशान हो रहा है
केस-1ट्रांसप्लांट
लॉकडाउन के कारण अब तक अटका
छत्तीसगढ़ के अभनपुर में रहने वाले ग्रामीण का किडनी ट्रांसप्लांट होना था। लॉकडाउन के ठीक एक दिन पहले उनका और डोनर का सैंपल जांच के लिए मुंबई भेजा गया। रिपोर्ट अब तक नहीं आई है जबकि ब्लड की जांच 12 घंटे के भीतर हो जानी चाहिए।
केस-2ऑपरेशन
कैंसर के मरीज को गेट से लौटाया
दिल्ली में रहने वाले जहांगीर को मुंह का कैंसर है। एम्स में एक साल से इलाज चल रहा है। डॉक्टर्स ने 14 मई की तारीख दी थी। जहांगीर जब एम्स गए तो सुरक्षा गार्ड्स ने गेट से ही लौटा दिया। प्राइवेट अस्तपाल में ऑपरेशन के 7 लाख रु. मांग रहे हैं।
केस-3आर्थिक बोझ
निजी लैब से टेस्ट करवाने का दबाव
पंजाब के जालंंधर में रहने वाले सुधीर वर्मा को पथरी का ऑपरेशन करवाना था। एक निजी अस्पताल पहुंचे तो ऑपरेशन से पहले उनपर निजी लैब से ही कोरोना टेस्ट करवाने का दबाव बनाया गया। ऐसे में सुधीर पर जबरदस्ती 4500 रुपए का बोझ डाला गया।
और एक फैक्टदेश में सर्जरी
5.8 लाख सर्जरी रुकी या टली हैं
ब्रिटिश जर्नल ऑफ सर्जरी में प्रकाशित स्टडी में दावा किया गया कि कोरोना के कारण भारत में 5.8 लाख लोगों की सर्जरी टल या रद्द हो सकती है। दुनियाभर में यह आंकड़ा दो करोड़ 84 लाख सर्जरी का है। लोग इस कारण परेशान हैं।
अलग-अलग राज्यों के इन उदाहरणों से समझिए स्थिति
राजस्थानः बिना डोनर नहीं मिल पा रहा है ब्लड
(संदीप शर्मा)प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एसएमएस की ओपीडी शुरू कर दी गई है। हालांकि स्किन, आंख और ईएनटी की ओपीडी शुरू नहीं की गई है। इन्हें फिलहाल अन्य जगह चलाया गया है। अस्पताल की ओपीडी 10000 से घटकर 1500 से 2000 तक हो गई है। अस्पताल में अभी बहुत ही जरूरी सर्जरी की जा रही हैं। अधिक परेशानी किडनी के मरीजों को हो रही है। क्योंकि डायलिसिस की संख्या भी कम कर दी गई है। पहले की तुलना में मात्र 20% मरीजों का डायलिसिस हो रहा है। प्रदेश भर के ब्लड बैंक में ब्लड की किल्लत है। अस्पताल या ब्लड बैंक मेें बिना डोनर के ब्लड नहीं दिया जा रहा है।
बिहारःएक अस्पताल में ही ओपन हार्ट सर्जरी की वेटिंग 470
(अजय कुमार सिंह)सरकारी अस्पताल आईजीआईएमएस में ओपन हॉर्ट सर्जरी के लिए प्रतीक्षा सूची 470 से अधिक हो गई है। यहां कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए भी 100 से अधिक मरीज इंतजार कर रहे हैं। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में भी कॉर्निया ट्रांसप्लांट नहीं हुआ। यहां भी करीब 20 से अधिक मरीज कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार कर रहे हैं। संस्थान में कीमोथेरेपी और रेडिएशन के लिए 50 फीसदी ही मरीज पहुंचे। पीएमसीएच ने लॉकडाउन के दौरान भी ओपीडी समेत अपनी सभी चिकित्सकीय सुविधाएं बहाल रखी थी। हालांकि ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या दो हजार से दो सौ पर पहुंच गई थी।
हरियाणाः सबसे बड़े अस्पताल में 5 हजार सर्जरी पेंडिंग
(विवेक मिश्र)हरियाणा के सबसे बड़े अस्पताल पीजीआई रोहतक में रुटीन सर्जरी करने वाले मरीजों की वेटिंग लिस्ट करीब 5000 के पार हो चुकी हैं। वहीं चंडीगढ़ में पीजीआई सहित दो अन्य मेडिकल कॉलेज में 50% क्रिटिकल सर्जरी शुरू कर दी गई हैं। अभी पूरी ओपीडी नहीं चल रही है। चंडीगढ़ में भी करीब 6 हजार सर्जरी पेंडिंग हैं। चंडीगढ़ पीजीआई में फिलहाल दो ओपीडी गायनेकॉलोजी और रेडियो थेरेपी की चल रही है। बाकी की ओपीडी टेली कंसल्टेशन पर चल रही हैं। अभी रोजाना करीब 1000 से अधिक मरीज टेली कंसल्टेशन से सलाह ले रहे हैं। पहले यहां 10-12 हजार की ओपीडी थी।
इनपुटःतरुण सिसोदिया-दिल्ली,मोहम्मद निजाम-रायपुर,प्रभमीत सिंह-जालंधर,अशोक अडसूल-मुंबई, अमरेंद्र कुमार-रांची, समीर राजपूत-अहमदाबाद, मनोज अपरेजा-चंडीगढ़।
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