केरल में हथिनी की मौत ने इंसानियत को शर्मसार किया; जयपुर के गांव में एक वक्त खाना खाकर हाथियों को पाल रहे हैं महावत
केरल के मलप्पुरम में खाने की तलाश में भटकते हुए शहर पहुंची गर्भवती हथिनी को फल में पटाखे रखकर खिलाकर हथिनी की हत्या करने की घटना ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। देश के कोने-कोने में वन्यजीव प्रेमियों के मन में इस घटना के बाद आक्रोश है। वहीं, मल्लपुरम से करीब 2400 किलोमीटर दूर राजस्थान की राजधानी जयपुर में देश का एकमात्र और पहला ऐसा हाथी गांव है, जहां लॉकडाउन की वजह से पिछले 80 दिनों से हाथी मालिकों और महावतों के परिवारों के 800 से ज्यादा सदस्यों की रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
तमाम मुसीबत और संकट के बावजूदइस गांव के लोगएक वक्त भूखे रहकर अपने हाथियों को पाल रहे हैं। उन्हें भूखा नहीं रहने दे रहे हैं। इसके पीछे वजह है कि हाथी इनके लिए जानवर नहीं बल्कि परिवार का हिस्सा है। हाथी गांव में रहने वाले बच्चे इन हाथियों के बीच पले-बढ़े हैं। ऐसे में इन बच्चों के लिए ये हाथी दोस्त जैसे हैं। यहां रहकर बच्चे इनके साथ खेलते हैं। मस्ती करते हैं। कभी सूंड पकड़कर चढ़ जाते हैं तोकभी पैर या दांत पकड़ कर झूलते हैं। यही हाल इनके मालिकों व महावतों का है,जो कि इन हाथियों से बच्चों के समान बर्ताव करते हैं।
गांव में हाथियों व महावतों कीरोजमर्रा की जिंदगी देखनेआते हैं पर्यटक
यहां के लोग बताते हैं कियह देशका पहला और एकमात्र हाथी गांव है, जिसे 2010में जयपुर-दिल्ली हाइवे पर 120 बीघा में बसाया गया था।देश विदेश के सैलानी यहां हाथियों और उनके महावतों की रोजमर्रा की जिंदगी को करीब से देखने आते रहे हैं। यहां मुख्यगेट पर एंट्री में हाथी गांव का बोर्ड लगा हुआ है।
गांव में कुल 103 हाथी, 63 हाथियों के लिए बने हैं बाड़े
हाथी गांव कल्याण समिति के अध्यक्ष बल्लू खान बताते हैं कि यहां हाथियों के रहने के लिए 63 शेड होम बने हैं। यह करीब 20 फीट से ऊंचाई चौड़ाई है। एक ब्लॉक में तीन हाथियों के लिए शेड होते हैं। इसके पास इनके महावतों और परिवार के ठहरने के लिए कमरे बने हैं। बच्चों के खेलने के लिए लॉन है। यहां हाथियों की देखरेख और उपचार के लिए वेटेनरी डॉक्टर की व्यवस्था भी है। इसके अलावा हाथियों के नहाने के लिए तीन बड़े तालाब हैं। कैंपस में ही यहां रहने वाले लोगों के लिएस्कूल व अस्पताल भी है। हाथियों का सामान व खाना रखने के लिए स्टोर रूम भी बना हुआ है।
'केरल की घटना से मां घबरा गई और फोन पर बात करते वक्त भावुक हो गई'
केरल में गर्भवती हथिनी की निर्ममता सेहुई हत्या की घटना को याद करते हुए बल्लू ने कहा, 'उनकी बुजुर्ग मां को मीडिया केजरिए यह समाचार मिला। तब वे घबरा गई।उस वक्त मैं घर से बाहर था। तब मेरी मां ने मुझे फोन कर केरल की घटना के बारे में बताया। वे उस वक्त काफीभावुक और परेशान थी। उन्होंने कहा कि एक बार हाथी गांव में अपने हाथियों को भी संभाल लो। कहीं यहां ऐसा कोई बदमाश नआ जाए,जो अपने हाथियों के साथ ऐसा कर दें।'
बल्लू कहते हैं किखाने की तलाश में शहर में निकली एक हथिनी को निर्ममता से हत्या से बड़ा पाप नहीं हो सकता। यहां हमने बचपन से जब से होश संभाला है तब से हाथियों को देखा है। हम खुद भूखे रह जांएगे। लेकिन इन बेजुबानहाथियों को भूखा नहीं रहने देंगे। आज इनकी वजह से हाथी मालिकों वमहावतों के 800 से ज्यादा परिवार के सदस्यों का पेट पल रहा है।
हाथी मालिक बल्लू खान के मुताबिक, केरल में घायलहथिनी तीन दिन तक पानी में तड़पती रही। वह शांत रही। लेकिन किसी को पता तक नहीं चला। जबकि उनका हाथियों से इतना लगाव है कि यहां उनके पेट दर्द हो या फिर कोई और शारीरिक समस्या। सिर्फ हाथियों के शरीर की हलचल को देखकर ही समझ आ जाती है। इससे वे तत्काल डॉक्टर को बुला लेते हैं।
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